आपको लो अब न होगा थामना ,
टूट जाऊं या बिख़र जाऊं अगर ।
अब न होगी आपकी अवमानना ,
लड़खड़ाऊँ या बहक जाऊं अगर । ।
अब सताएंगी नही वो हिचकियाँ ,
याद तेरी आँख भर जाए अगर ।
अब बुलाएंगी नही वो सिसकियाँ ,
रूठी रातें जी को तडपाए अगर । ।
very nice.great thought.
shukria!
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2 comments:
very nice.great thought.
shukria!
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